उत्तराखंडः यहां बिना वाणी की ‘आकाशवाणी’ 18 सालों से बनी शोपीस
लोक संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से खोला गया गोपेश्वर का आकाशवाणी केंद्र 18 सालों से शोपीस बना है। केंद्र सरकार की ओर से यहां आकाशवाणी केंद्र तो खोल दिया गया, लेकिन विशेषज्ञों की तैनाती नहीं की गई। ऐसे में केंद्र के स्थापना काल से ही यहां आज तक कोई कार्यक्रम नहीं हुए। 
 

सात फरवरी वर्ष 2001 को सड़क परिवहन मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने गोपेश्वर में आकाशवाणी केंद्र का शुभारंभ किया था। नगर के बीचों-बीच 16.8 नाली में फैले इस केंद्र को संचालित करने के पीछे केंद्र सरकार का उद्देश्य लोक संस्कृति को बढ़ावा देना था। यहां स्थानीय लोकगीत और नृत्य की रिकॉर्डिंग होनी थी, जिसे आकाशवाणी के जरिए प्रसारित किया जाना था।

इसके लिए यहां स्टूडियो में रिकार्डिंग और डबिंग की सुविधा है, लेकिन यहां विषय व तकनीकी विशेषज्ञों की तैनाती नहीं की गई। ऐसे में केंद्र में कोई भी कार्यक्रम प्रसारित नहीं किए गए।
 


सिर्फ रिले स्टेशन के रूप में संचालित



मौजूदा समय में यहां चार स्थायी कर्मचारी हैं और यह कर्मी रेडियो पर प्रसारित होने वाले विविध भारती के कार्यक्रमों को सेटेलाइट से प्राप्त कर अपने ट्रांसमीटर से एफएम पर प्रसारित करते हैं। यहां एफएम का 100 वाट का ट्रांसमीटर स्थापित किया गया है, जिस पर विविध भारती के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। अब आकाशवाणी केंद्र सिर्फ रिले स्टेशन के रूप में संचालित हो रहा है। 

स्थानीय लोगों के साथ ही अधिकारियों की उदासीनता के कारण आकाशवाणी केंद्र शोपीस है। युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का यह सशक्त मंच था, लेकिन अनदेखी के कारण आज हमारे सामने ही सरकार का यह उपक्रम दम तोड़ रहा है।
- विजय वशिष्ठ, अध्यक्ष, अक्षत नाट्य संस्था, गोपेश्वर, चमोली

शुरुआत में आकाशवाणी के स्टूडियो में लोक भाषा में कार्यक्रम हुए, लेकिन पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण यह केंद्र अपने उद्देश्य पर खरा नहीं उतर पा रहा है। कई बार उच्च अधिकारियों से भी इस संबंध में पत्राचार किया गया। स्थानीय लोगों को इसे संचालित करने के लिए आवाज उठानी चाहिए थी, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
- आरसी बड़थ्वाल, सहायक निदेशक, आकाशवाणी केंद्र, गोपेश्वर